Subramanian Swamy Birthday: राम सेतु से कैलाश मानसरोवर तक, सुब्रमण्यम स्वामी के जीवन के रोचक तथ्य
Subramanian Swamy Birthday: आज भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के वरिष्ठ नेता, अर्थशास्त्र और कानून के विद्वान, पूर्व केंद्रीय मंत्री और राष्ट्रवादी नेता सुब्रमण्यम स्वामी का जन्मदिन है। सुब्रमण्यम स्वामी का जन्म 15 सितंबर 1939 को चेन्नई, तमिलनाडु में हुआ था। उनके जीवन के कई पहलू बेहद प्रेरणादायक और दिलचस्प हैं। एक राजनेता के रूप में उनके योगदान के अलावा, वे अपने स्पष्ट विचारों और विवादास्पद मुद्दों पर दृढ़ता से खड़े रहने के लिए जाने जाते हैं। चाहे आपातकाल का दौर हो या राम जन्मभूमि का मुद्दा, स्वामी ने हमेशा अपने विचार बेबाकी से व्यक्त किए हैं। उनके जन्मदिन के अवसर पर आइए जानते हैं उनके जीवन से जुड़े कुछ महत्वपूर्ण और खास पहलू।
कैलाश मानसरोवर यात्रा की शुरुआत में महत्वपूर्ण योगदान
सुब्रमण्यम स्वामी ने हिन्दू धर्म के अनुयायियों के लिए एक महत्वपूर्ण योगदान दिया है, जो उनके जीवन का एक खास हिस्सा है। वर्ष 1981 में स्वामी की कड़ी मेहनत और प्रयासों के कारण कैलाश मानसरोवर यात्रा का मार्ग दोबारा खोला गया। उस समय, चीन के नेता देंग शियाओपिंग के साथ हुई एक महत्वपूर्ण बैठक में स्वामी ने हिन्दू तीर्थयात्रियों की इस पवित्र यात्रा को फिर से शुरू करने के लिए अपना पक्ष रखा। इस यात्रा के महत्व को समझते हुए चीन ने इसे पुनः खोलने की स्वीकृति दी और इस तरह लाखों हिन्दू भक्तों के लिए कैलाश मानसरोवर यात्रा संभव हो सकी।
आपातकाल के दौरान योगदान
स्वामी ने 1975 में भारत में लगे आपातकाल के दौरान एक अहम भूमिका निभाई थी। आपातकाल के विरोध में उन्होंने कांग्रेस सरकार की नीतियों के खिलाफ अपने विचार स्पष्टता से व्यक्त किए। उस समय, उन्होंने संसद के भीतर और बाहर अपनी आवाज बुलंद की, जो उस दौर में एक साहसी कदम था। स्वामी ने आपातकाल के दौरान अपनी राजनीतिक जिम्मेदारियों को निभाते हुए जनता पार्टी के गठन में महत्वपूर्ण भूमिका अदा की थी, जो आपातकाल के बाद हुए चुनावों में विजयी हुई।
रामसेतु बचाने में अहम भूमिका
सुब्रमण्यम स्वामी ने रामसेतु के संरक्षण के लिए भी कड़ी मेहनत की है। वह उस परियोजना के खिलाफ गए थे जिसमें रामसेतु को तोड़ा जा रहा था। स्वामी ने इस मामले को अदालत में उठाया और अंततः वे इस परियोजना को रद्द करवाने में सफल रहे। रामसेतु को हिन्दू धर्म में एक महत्वपूर्ण स्थान माना जाता है, और इसे बचाने के स्वामी के प्रयासों को धर्मनिष्ठ हिन्दुओं द्वारा सराहा गया।
राजनीतिक उपलब्धियां
स्वामी का राजनीतिक करियर अनेक उपलब्धियों से भरा हुआ है। वे उन चुनिंदा नेताओं में से एक थे जिन्होंने विपक्ष में रहते हुए भी केंद्रीय मंत्रिमंडल में स्थान पाया। 1990-91 के दौरान वे योजना आयोग के सदस्य और वाणिज्य तथा कानून मंत्री बने। उनकी नीतियों और योजनाओं का भारतीय अर्थव्यवस्था पर महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ा। स्वामी का भारतीय अर्थव्यवस्था और विदेश नीति में गहन ज्ञान है, जिसके कारण उन्हें राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर काफी सम्मान प्राप्त है।
आर्थिक क्षेत्र में योगदान
सुब्रमण्यम स्वामी की विद्वता और शोध कार्य भी उतने ही महत्वपूर्ण हैं जितना उनका राजनीतिक जीवन। वर्ष 1963 में, उनका शोध पत्र “Notes on Fractal Graphical Analysis” प्रसिद्ध आर्थिक पत्रिका ‘Econometrica’ में प्रकाशित हुआ था, जिसने आर्थिक गणित के क्षेत्र में नई दिशा प्रदान की। इसके अलावा, 1994 में उन्हें तत्कालीन प्रधानमंत्री पी.वी. नरसिम्हा राव द्वारा लेबर स्टैंडर्ड्स और अंतर्राष्ट्रीय व्यापार आयोग के अध्यक्ष के रूप में नियुक्त किया गया था।
विदेशी भाषाओं का ज्ञान
स्वामी के व्यक्तित्व का एक और खास पहलू यह है कि वे बहुभाषी हैं। उन्होंने केवल तीन महीनों में चीनी (मंदारिन) भाषा सीखी, जो उनकी विलक्षण प्रतिभा और मेहनत का प्रमाण है। इससे पता चलता है कि उनके ज्ञान की सीमा केवल भारत तक ही नहीं, बल्कि वैश्विक स्तर तक फैली हुई है।
शिक्षा और प्रारंभिक जीवन
सुब्रमण्यम स्वामी ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा भारत में पूरी की और बाद में उच्च शिक्षा के लिए विदेश गए। उन्होंने हार्वर्ड विश्वविद्यालय से अर्थशास्त्र में पीएचडी की डिग्री प्राप्त की। उनके शोध और अकादमिक योगदान ने उन्हें एक विश्वस्तरीय अर्थशास्त्री के रूप में पहचान दिलाई। इसके अलावा, वे आईआईटी दिल्ली में प्रोफेसर भी रहे हैं, जहां उन्होंने युवा विद्यार्थियों को शिक्षा प्रदान की।
सामाजिक और राष्ट्रीय मुद्दों पर स्पष्ट दृष्टिकोण
स्वामी का राजनीतिक जीवन भले ही कई विवादों से घिरा हो, लेकिन उनके स्पष्ट दृष्टिकोण और जनहित से जुड़े मुद्दों पर उनकी बेबाकी ने उन्हें हमेशा चर्चा में रखा। वे अक्सर अपनी ही पार्टी की नीतियों पर सवाल उठाने से भी नहीं कतराते। चाहे राम मंदिर का मुद्दा हो या आर्थिक सुधारों की बात, स्वामी ने हमेशा अपने विचार मजबूती से रखे हैं।